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Anupama 20 November 2021 Spoiler Alert - Baa Ne Phoda Kavya Ka Bhaanda - Bapuji Aaye Shah House

Anupama 20 November 2021 Spoiler Alert - Baa Ne Phoda Kavya Ka Bhaanda - Bapuji Aaye Shah House

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अनुपमा 20 नवंबर 2021 स्पॉयलर अलर्ट - बा ने फोड़ा काव्य का भांडा - बापूजी आये शाह हाउस

आज के एपिसोड में हमने देखा की, बापूजी के घर लौटने से मना करने के बाद, बा दुःखी हो कर रोते हुए घर लौट रही होती है। अनुपमा बा को ऐसी हालत में संभालने के लिए उनके पीछे आती है।

रास्ते भर में बा को बापूजी के साथ किये हुए अपने बुरे बर्ताव की बातें याद आती है और पूरी तरह से टूट चुके बापूजी की कहीं हुई सारी बातें याद कर के वह और भी ज़्यादा रोने लगती है। इस समय बा इतनी दुःखी है की उन्हें कोई होश नहीं है की वह कहाँ जा रही है।

बा ऐसे ही एक गड्ढे के पास पोहोच जाती है और गिरने ही वाली होती है की अनुपमा जो बा के पीछे ही आ रही होती है, दौड़ कर बा को गिरने से बचा लेती है। अनुपमा कहती है की आप क्या कर रही है - अभी आप गिर जाती। आज बा सच कहती है - की वह पहले से ही इतनी गिरी हुई है और कितना गिरेगी।

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बा ने अनुपमा से मदद मांगी:-

अनुपमा बा को सँभालते हुए उन्हें एक बैंच पर बिठाती है और उन्हें सांत्वना देती है। लेकिन आज बापूजी को खोने के बाद, बा को अपनी सारी गलतियों का अहसास होता है। साथ ही अनुपमा भी, बापूजी के इस हाल के लिए और उनके घर छोड़ने के लिए बा को ही दोषी ठहरती है।

यह सब सुन कर बा अपनी हर गलती मानती है और अनुपमा के गले लग कर रोती है। फिर बा उससे हाथ जोड़ कर बिनती करती है की, एक वहीँ है जो बापूजी को घर लौटने के लिए मना सकती है। बा अनुपमा से मदद मांगती है की वह उसके पति को वापस पाने में उसकी मदद करे।

बा फूट फूट कर रोती है और कहती है की, वह हज़ार बार बापूजी के पैर पकड़ कर माफ़ी मांगने के लिए भी तैयार है और अगर बापूजी घर नहीं लौटे तो वह जी नहीं पाएगी। उन्होंने अपने ही घर के भगवान को उनके ही घर से निकाल कर बहुत बड़ा पाप किया है।

अनुपमा बा को ऐसी स्तिथि में संभालती है और उन्हें शांत कर के शाह हाउस ले जाती है।

वहीँ शाह हाउस में, वनराज तोषु पर ग़ुस्सा करता है, और उसे सब सच बताने को कहता है। तोषु डर के मारे अपना मुँह सील लेता है, जिससे वनराज और भी ज़्यादा क्रोधित हो जाता है।

तभी काव्य, समर, पाखी और किंजल घर लौटे है। उनके साथ बा और बापूजी को न देखकर, वनराज काव्य पे भड़क जाता है और सब सच बोलने के लिए कहता है। काव्य डर के मारे वनराज को सब सच बता देती है।

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सच सुनते ही वनराज के पैरो तले ज़मीन खिसक जाती है और वनराज ग़ुस्से में लाल पीला हो जाता है। वह तोषु को झूठ बोलने के लिए और काव्य, समर और पाखी को सच छुपाने के लिए फटकार लगता है और साथ ही प्रण लेता है, की जब तक वह बापूजी को घर नहीं ले आता वह खाना तो क्या, पानी की एक बूंद भी नहीं पीयेगा।

बा को वनराज की धमकी:-

फिर वनराज ग़ुस्से में ही बापूजी को घर वापस लाने के लिए घर से बहार जा ही रहा होता है, की उसकी नज़र बा और अनुपमा पर पड़ती है जो घर के अंदर चले आ रहे होते है। बा को देखते ही वनराज का ग़ुस्सा सातवे आसमान पर जा पोहोचता है।

वनराज इतना ज़्यादा बा से ग़ुस्सा है की, वह भी अपनी मर्यादा भूल कर सभी के सामने बा की बेज़्ज़ती करते हुए उन्हें घर में आने से मना कर देता है। बा को वनराज के शब्द तीर की तरह उनके दिल में चूब जाती है, बा बुरी तरह से काँप जाती है और उनकी आँखों में आंसू आ जाते है।

वनराज बा को धमकी देता है की जब तक बापूजी घर लौट कर नहीं आते, वह भी इस घर में कदम नहीं रखेगी। साथ ही वनराज, अनुपमा को अपने घर पर देखकर उस पर भी भड़क जाता है और शाह हाउस से निकल जाने को कहता है।

बा वनराज से कहती है की, अनुपमा उसे घर छोड़ने के लिए आयी है। वनराज बा पर चीखते हुए उससे पूछता है की बापूजी कहाँ, बा डर के मारे अनुपमा का हाथ थाम लेती है। यह देख अनुपमा कहती है की बा ने बापूजी से माफ़ी मांगी और घर लौटने के लिए बिनती भी की, लेकिन बापूजी ने आने से मना कर दिया।

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वनराज बा से कहता है की, अगर उसके बापूजी का किसी और ने अप्मान किया होता तो वह उसकी जान ले लेता। वह अपने बापूजी के लिए जान दे भी सकता है और ले भी सकता है, लेकिन अफ़सोस, उसके बापूजी का अपमान उसकी माँ ने ही किया है।

वनराज बा को साफ़ शब्दों में कह देता है, की वह अपने बापूजी के बिना नहीं जी सकता और एक माँ बच्चों की गलती सुधारती है, न के ऐसी गलती करती है। लेकिन बा ने तो गलती नहीं, पाप किया है पाप।

अनुपमा वनराज से बिनती करती है की, वह बा को इस तरह घर के बहार न डाटे और घर में चल कर यह सब बातें करे।

बापूजी आये शाह हाउस:-

लेकिन वनराज जो अपने बापूजी को जान से भी ज़्यादा प्यार करता है, वह उनके अपमान पर इतना ग़ुस्सा है की वह अपनी ही माँ को घर से निकाल कर उसके मुँह पर ही दरवाजा बंद करने जा रहा होता है।

लेकिन अनुपमा, वनराज को बा के मुँह पर दरवाजा बंद नहीं करने देती, और वनराज से कहती है की एक गलती को सुधरने के लिए दूसरी गलती न करे। बा के मुँह पर दरवाजा बंद ना करे, क्यूंकि वह अच्छे से जानती है की ऐसा किसी के साथ होता है तो दिल ही टूट जाता है। 

वनराज जिसने ग़ुस्से में आज तक अनुपमा की कोई भी बात नहीं मानी, आज भी नहीं मानता और दरवाजा बंद करने लगता है। अनुपमा भी अपने रौद्र रूप में आ जाती है और वनराज को दरवाजा बंद नहीं करने देती।

वनराज दरवाजा बंद करने के लिए और अनुपमा दरवाजा न बंद करने लिए पूरा जोर लगा देते है, के तभी वनराज दरवाजा खोल देता है और तभी अनुपमा और बा पीछे मूड कर देखते है की बापूजी वहाँ पर आये है।

बा ने फोड़ा काव्य का भांडा:- 

वनराज बापूजी को देखकर उनकी ओर दौड़ता है और उनके पैर छूता है, फिर भावुक हो कर उन्हें गले से लगा लेता है।

वनराज बा की तरफ से बापूजी से माफ़ी मांगता है और घर लौटे की बिनती करता है। लेकिन बापूजी इस अप्मान के बाद घर लौटना नहीं चाहते।

यह देख, बा भी हाथ जोड़ कर अपनी गलती की बापूजी से माफ़ी मांगती है और उनसे घर लौटने की बिनती करती है।

फिर बा काव्य का भांडा फोड़ते हुए सभी को बताती है की, काव्य ने ही उसे अनुपमा के खिलाफ भड़काया था और ग़ुस्से में बा से यह पाप हो गया।

यह सुनते ही काव्य बा पर भड़क जाती है और सारा दोष अनुपमा और बा पर डाल देती है।

क्या बापूजी अपने अप्मान को भुला कर घर लौट आएंगे?

क्या बा और काव्य की इस हरकत को वनराज कभी माफ़ कर पायेगा?

क्या शातिर काव्य अपने आप को बचने के लिए कोई नयी चाल चलेगी?

प्लीज अपने विचार निचे कमैंट्स में बताये।

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