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Karwachauth Vrat Katha Hindi Me - Ek Raja Ke Saat Bete Aur Ek Beti Thi

ॐ करवाचौथ व्रत कथा हिंदी में - एक राजा के सात बेटे , एक बेटी थी 

Karwachauth Vrat Katha Hindi Me - Ek Raja Ke Saat Bete Aur Ek Beti Thi

करवाचौथ व्रत कथा हिंदी में

एक नगर में एक राजा था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी।  सातों भाई अपनी एकलौती बहन से बहुत प्यार करते थे। राजा की बेटी का नाम सुनैना था, उसका विवाह दूसरे नगर के राजकुमार से हुआ। सभी भाई अपनी बहन की विदाई पर बहुत रोये। जब सुनैना का पहला करवाचौथ आया तब वह अपने मायके में थी।  

सुनैना का भाभियाँ भी उससे बहुत प्यार करती थी। उसे पहले करवाचौथ पर कोई काम नहीं करने दिया।  सुनैना ने उस दिन अपने कपडे सिले और सुई धागे का बहुत काम किया।  वह सबकी लाड़ली थी तो किसी ने कुछ नहीं कहा। 

जब शाम हुई सभी भाई खाने के लिए बैठे, तभी उनको पता चला की उनकी बहन ने कुछ नहीं खाया तो वे लोग अपनी पत्नियों पर बहुत गुस्सा हुए। सुनैना की भाभियाँ बोली की आज करवाचौथ है और आपकी बहन चाँद देख कर ही यह व्रत खोलेगी।

सुनैना के सारे भाई अपना खाना छोड़ बहन की चिंता में लग गए की कैसे उसे जल्दी खाना खिला दे क्यों चाँद तो बहुत देर से निकलेगा।  उनमे से कुछ दिया और छलनी लेकर ऊँचे पेड़ पर चले जाते है और अपनी पत्नियों से उनकी बहन को तैयार करने के लिए कह देते है।  जैसे ही सुनैना की भाभी उसका बक्सा खोलके देखती उसके सारे कपडे सफ़ेद हो जाते है।  वह घबरा कर अपनी जेठानी को बताती है तो वह उसे अपने कपडे पहनने के लिए दे देती है। 

सुनैना तैयार होकर छत पर पहुँचती है और उसके भाई उसे गोद में उठा के नकली चाँद दिखा देते है। सुनैना की थाली सजती है, उसके भाई बड़े प्यार से अपनी बहन के साथ खाने बैठते है। जैसे ही सुनैना पहला ग्रास लेती है उसमे मक्खी निकलती है।  दूसरा ग्रास लेती है उसमे बाल निकल जाता है।  तीसरा ग्रास तोड़ते ही नाइ उनकी यहाँ पहुँचता है। खबर आती है की सुनैना का पति नहीं रहा।  उनके घर में शोक छा जाता है।

सुनैना का रोते रोते बुरा हाल हो जाता है।  उसके पिताजी अपने साथ उसे भी चलने के लिए कहते है। उनके घर आई एक बुढ़िया सुनैना से कहती है की तू रास्ते में जो मिले पैर छू कर उसका आशीर्वाद लेती जाना। अंत में एक डरावनी बुढ़िया मिलेगी उसके पैर पकड़ कर छोड़ना मत। 

सुनैना वैसा ही करती है जैसा उसे बताया गया। और अंत में वह डरावनी बुढ़िया मिली, उसने पैर पकडे और छोड़े ही नहीं। वह बुढ़िया सुनैना पर चिल्लाई की सात भाईयों की प्यारी, पति को खाने वाली, मैं तुझे आशीर्वाद नहीं दूंगी। सुनैना सब सुनती है और उनके पैर नहीं छोड़ती। बहुत देर बाद वह कहती है की जा अपने पति के घर जा और अगले करवाचौथ तक जितनी चौथ आएंगी व्रत कर, तेरे पति के शरीर में सुइयां लगी है।  उसकी सेवा कर और सुइयां निकाल। 

जब अगला करवाचौथ आएगा तेरा पति जीवित हो जायेगा।  सुनैना उन्हें प्रणाम करके आगे बढ़ती है।  जैसे ही वह अपने ससुराल पहुंचती है तो उसके पति को लेकर जा रहे होते है।  वह सबसे हाथ जोड़ कर विनती करती है की उसके पति को एक साल सेवा करने के लिए छोड़ दो।  वह उसको जीवित करना चाहती है। सभी लोग अचंभित हो जाते है फिर सुनैना की बात मान ली जाती है। 

सुनैना अपने पति को लेकर एक छोटे से कमरे में दिन रात उसकी सेवा करती है और चौथ आते ही उसका व्रत नियम पालन करती है। सुनैना के पति के शरीर में लगी सुइयां निकालते निकालते उसके नाख़ून घिस जाते है। दिन रात की सेवा में वह बहुत कमजोर भी हो जाती है।  उसकी सहेली उससे मिलने आती है।  करवाचौथ आने ही वाली थी।  वह सुनैना को आराम करने और नहाने के लिए भेजती है और उसके पति की सुइयां निकालने लगती है। 

सुनैना की सहेली के नाखून बड़े थे तो समय से पहले ही सुनैना के पति के शरीर की सुइयां निकल जाती है और वह राम राम बोल कर उठ जाता है। राजकुमार अपने सामने बैठी स्त्री को अपनी पत्नी मान लेता है और सुनैना को उसकी सहेली अपनी दासी कह देती है। 

राजकुमार सुनैना को दासी वाली कोठरी में रखता है और उसकी सहेली को राजमहल में।  कुछ समय बाद  राजकुमार को विदेश जाना पड़ता है।  वह अपनी पत्नी (सुनैना की सहेली ) को पूछता है तुम्हारे लिए क्या लेकर आऊं, वह कहती है की मुझे तो मुरमुरा और चने ला देना क्योकि वह एक भड़भूजन थी तो उसके आवला उसे कुछ नहीं पता था। 

जाते रामय राजकुमार सुनैना की कोठरी के सामने से निकल रहा था तो उसने सोच क्यों न मैं इस दासी से भी पूछ लू। सुनैना दुखी मन से कोठरी के एक कोने में पड़ी होती है। राजकुमार पूछता है दासी बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है मैं विदेश जा रहा हु। सुनैना बताती है की दूसरे नगर के राजा के घर जाना और वह मेरी एक झिलमिल की गुड़िया होगी वह लेते आना।  दासी की ऐसी मांग सुन कर राजकुमार को थोड़ी शंका होती है। 

राजकुमार लौटते समय सुनैना की गुड़िया और चने मुरमुरे लेते हुए महल पहुंचता है।  सुनैना अपनी गुड़िया पाकर बहुत रोती है।  रात के समय वह आपबीती सुना कर उस गुड़िया को गले लगा कर रोती रहती है।  राजकुमार को एक दिन सुनैना की आवाज़ आती है, वह निश्चय करता है की मैं पता लगा कर रहूँगा की आखिर बात क्या है ?

राजकुमार अपनी ऊँगली काट कर उसपर नमक लगा कर रात भर सुनैना की कोठरी के बाहर पहरा देता है। सुनैना की आपबीती सुन कर वह दौड़ कर सुनैना के आंसू पोछता है और उसे अपने गले लगता है।  राजकुमार सुनैना से अपने किये की क्षमा मांगता है।  सैनिको को बुला कर सुनैना की सहेली को कारगार में डलवा देता है। 

जो जैसा करता है वैसा ही फल पता है। जैसी करती वैसी भरनी। 

जैसे करवा माँ ने सुनैना पर अपनी कृपा बनाई ऐसे ही सभी बहनो पर करवा माँ अपनी कृपा बनाये रखे।  

बोलो करवा माता की जय !

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